यह ब्लॉग महज थोथे विचार थोपने के लिए कोई जुगाली नहीं है। ये कुछ अनुभूतिया हैं जो मैंने विभिन्न पलों में महसूस कीं। इन्ही को मैंने अलग-अलग विधाओं में व्यक्त किया है। इसका नाम पनघट इसलिए रखा ताकि पनघट की विविधता पूरे सौन्दर्य के साथ आपमें समाहित हो सके।
मेरी यह कहानी 'एक टुकड़ा धूप का' इसी ब्लॉग पर टेक्स्ट के रूप में प्रकाशित है लेकिन यह एक समाचार पत्र में प्रकाशित हुई थी। मैं प्रकाशित कहानी को पोस्ट कर रहा हूं।
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