लेकिन तब मेरे आश्चर्य की कोई
सीमा न रही
जब मैंने देखा, मेरे आंसू
मुझ पर ही हंस रहे हैं।
मैं रो रहा था
और आंसू हंस रहे थे।
कैसी विंडबना है ये
जो जिसके लिए रोता है
वही उस पर हंसता है।
मैं यही झुठलाने के लिए
रो रहा था।
परंतु असफल रहा।
मैं नहीं जान पाता कि मैं हंसने
के लिए रोता हूं
या रोने के लिए हंसता हूं
मगर अब मैं
हंसने का अभ्यास करूंगा
क्योंकि मैं जान गया हूं कि
मेरे लिए कोई नहीं रोएगा।
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