बुधवार, जून 29, 2011

मौसिकी का गुलदस्ता



शेर--सुखन

तुम चाहकर भी मुझे भुला नहीं सकते,
कुछ भी तुम्हें याद नहीं अब मेरे सिवा। -

जिंदा रहने की निकल आएगी कोई सूरत
अपनी आंखों में कोई ख्वाब सजाकर देखो। -

हम भी जानते हैं मोहब्बत में मिट जाने का हुनर
यूं हमने एक रूठे हुए शख्स को मनाया था कभी। -

बदल डालेंगे हम हर एक चेहरे की रंगत
पत्थर भी पिघलते हैं हमारी नजरों की तपिश से। -

बेरुखी किसी से फिर ऐसी भी कीजिए
कि आंख छलक आए उसकी हर सवाल पे। -

मौत मेरी हो तो तेरी पलकों की छांव में
वरना आसमां भी काफी नहीं मेरे कफन के लिए। -

कौन रोकेगा हमारे हौंसलों की परवाज
शबनम भी बदल दी हमने शोलों के ढेर में। -

हम जलाते है दिया तूफान आने से पहले
हमारी कश्ती को कोई समन्दर डुबो सकता नहीं। -

उनकी आंखों में हैं हजारों समन्दर समाए हुए
हर डूबती कश्ती को मगर किनारा नहीं मिलता। -

उसने देखा था मेरी तरफ कुछ ऐसी नजर से
बुलाया हो किसी ने जैसे मुहब्बत की तरफ से। -१०

तुम्हें हमारी याद आई तो क्या हुआ
हमारा दिल तो जलता है तुम्हारी याद में। -११

बता जिंदगी कैसे दें उसे अपनी बावफाई का पता
खुदा तूने उस शख्स को इतनी वफा क्यों दी। -१२

टूट जाएंगे तमाम अंधेरों के हौंसले
एक ही चिराग काफी है रोशनी के लिए। -१३

मेरे गुलिस्तां में जो लेके आएगा बहार एक दिन
उस शख्स के इंतजार में उम्र गुजार रहा हूं मैं। -१४

धड़कनों का क्या एक मोड़ पर खत्म हो जाएंगी
महसूस कर उसे जो तेरी रूह में बसता है।-१५

2 टिप्‍पणियां:

  1. इन ज़बरदस्त पोस्टिंग्स के साथ ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है दिवाकर जी... "आपके आने से घर में कितनी रौनक है, आपको देखें कभी अपने घर को देखें हम!!"

    साभार

    रामकृष्ण गौतम

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