रविवार, अगस्त 18, 2013

लाल किले से महंगाई का बिगुल


प्‍याज ने ऐसा मारा पंच
कि हम हो गए टंच
टमाटर भी खड़ा गुर्रा रहा है
मोहन के मौन पर थर्रा रहा है।
लाल-पीला होकर
अब लाल हो गया है
हर सब्‍जी के दाम में
धमाल हो गया है।
रुपया रोज गिर रहा
राजनीति की तरह
हुई इसकी हालत रिकी बहल
की सताई परणीति की तरह
सोने के दाम भी खरे हो गए हैं
मुझ गरीब के हाल
दाल के फरे हो गए हैं।
सोना की चांदी हो गई
चांदी भी सोना बन गई
खबर मिली है कि
पेटोल कीमत की आंच में
खुद झुलस गया है
आम आदमी के गले में
आम का रस फंस गया है
मंडी में सब्जियां खुश थीं
कि कोई खा नहीं पाएगा
दोपहिया-चौपहिया इठला रहे थे
कि कोई चढ़ नहीं पाएगा।
सरकार ने लाल किले से
बजाया बिगुल
कश्‍मीर तू, मैं कन्‍याकुमारी
पांच साल पहले मैंने तुझे आंख थी मारी
तब फंस गया तू अब फिर आई बारी...!!



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