मैं क्या करूं कि मेरे दिल पे आ गई है,
पगली सी एक बदली सेहरा पे छा गई है।
छलके है उनकी आंखों से मय के हजार प्याले
मेरा कोई कुसूर नहीं, साकी पिला गई है।
अब अपने दामन को छुड़ाइये न हमसे,
मेरी हसरतों के चराग आंधी जला गई है।
मांग लिया है मैंने रब से दुआ में तुमको,
तेरे दिल की बात मेरी जुंबा पे आ गई है।
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