उस शाख पे गुले दिल खिलाऊं कैसे?
रूठा है वो माली, मैं मनाऊं कैसे?
बूंद होती है हर प्यासे की किस्मत में मगर,
उस दिले दरिया से कोई बूंद चुराऊं कैसे?
कर सके जो रोशन शब-ए-गम मेरा,
वो चरागे मोहब्बत मैं जलाऊं कैसे?
होता नहीं नसीब यहां उंगली का सहारा
दामने यार का सहारा मैं पाऊं कैसे?
हर शह पर तो रहती नहीं उसकी नजर,
दागे दिल नादां उसको दिखाऊं कैसे?
यहां हर सू नजर आती हैं लाशें ही लाशें,
इन हैवानों को मैं इनसान में बताऊं कैसे?
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